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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
No one of the limbs of the Chaṇḍī Pāṭhaḥ is effective at conveying all the solution on the Glory on the Goddess.
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
इस पाठ के more info करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
It is amazingly secretive – we need to go deeply inside of and fully grasp the meaning of those mantras.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि